वेदों पर शोध ने खोले विज्ञान के रहस्य
भारतीयअंतरिक्षशोध संस्थान के पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं प्रधानमंत्री के साइंस एवं तकनीक मामलों के 1990 में ओएसडी रहे डॉ. ओमप्रकाश पांडे ने वेदों पर शोध करके विज्ञान के रहस्यों को खोला। उन्होंने कहा कि नासा में 2001 में जाने के बाद काम के दौरान उनके सामने सूर्य मंत्र आया। इसके बाद उनकी इच्छा वेदों का अध्ययन करने की हुई।
जब वेदों का अध्ययन शुरू किया तो पता चला कि विज्ञान की अधिकतर थ्योरी जो उन्होंने पश्चिम देशों के वैज्ञानिकों के नाम से पढ़ी थी, वही थ्योरी इन वैज्ञानिकों से हजारों बरस पहले वेदों में दी जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि पिछले 16 साल के शोध के दौरान उन्होंने पाया कि गुरुत्वाकर्षण का दिया न्यूटन का सिद्धांत न्यूटन का होकर 6000 बीसी में अपरं संयोग अभावे गुरुत्वात पतने ऋग्वेद में लिखा हुआ है। जोकि धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के बारे में बताता है। इसके अलावा पृथ्वी गोल है इसका उदाहरण भी ऋग्वेद के श्लोक चक्राणास परिणहं पृथिव्या में मिलता है।
वहीं पृथ्वी के वजन के बारे में भी वेदों में 1600 शंख मण लिखा है जोकि बिलकुल सही है। डॉ. पांडे ने कहा कि वेदों को पुराने समय के ग्रंथ होने की बात कहकर गंभीरता से नही लेना सबसे बड़ी भूल है। उन्होंने कहा कि कैलकुलस का ज्ञान भी केरल के भास्कराचार्य ने ही दिया।
इसरो नासा का अनुसरण कर रही हैं
डॉ.ओमप्रकाश पांडे ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान संस्थान इसरो अमेरिका की अंतरिक्ष विज्ञान एजेंसी नासा का अनुकरण कर रही है। नासा जिस प्रोजेक्ट को 50 साल पहले पूरा कर चुकी है अब उस क्षेत्र में भारत जा रहा है। उन्होंने कहा कि अनुकरण करने की यह सोच बदलनी होगी। उन्होंने कहा कि इसरो में रहते हुए उन्होंने कभी वेदों को नहीं पढ़ा अगर पढ़ा होता तो वे इसरो में रहते हुए भी और अच्छा काम कर सकते थे। उन्होंने कहा कि इसरो सौरमंडल के अंतिम छोर तक पहुुंंची है। उन्होंने कहा कि इसरो भी सौरमंडल के ग्रहों पर काम कर रही है।
यहाँ के शिक्षक न्यूटन आइंस्टीन को छोड़ने को तैयार नहीं
डॉ.ओमप्रकाश पांडे ने कहा कि हमारे शिक्षक शिक्षा न्यूटन आइंस्टीन को नहीं छोड़ रही। हम वही पढ़ रहे हैं जो पश्चिमी सभ्यता के लोग हमें पढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने भी पूरी जिंदगी वही पढ़ा, लेकिन जब शोध किया तो पता चला कि विज्ञान के ये सूत्र तो वेदों में पहले से ही मौजूद थे। उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि हम पर पश्चिमी शिक्षा हावी है।
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कुरुक्षेत्र | केूय के सीनेट हॉल में स्वर्ण जयंती वर्ष के तहत समकालीन संदर्भ में प्राचीन भारतीय ज्ञान विषय पर आयोजित व्याख्यान को संबोधित करते इसरो के पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिक डॉ. ओम प्रकाश पांडे।
रणधीर कुमार झा


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